Wedding Trend: मध्य प्रदेश में शादी के पैमानों में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. जहां पहले लड़कों की सरकारी नौकरी, लंबाई, गोरा रंग और मिलनसार स्वभाव जैसी बातें प्राथमिकता हुआ करती थीं. अब उनका स्थान सिबिल स्कोर (CIBIL Score) ने ले लिया है. अब लड़कियां अपने संभावित जीवनसाथी के क्रेडिट स्कोर को जांच रही हैं. ताकि वे अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित रख सकें.
कैसे शुरू हुआ यह नया ट्रेंड?
8 फरवरी को महाराष्ट्र के मुर्तजापुर में एक युवती ने शादी के लिए लड़के का सिबिल स्कोर देखा. जिसके बाद यह चलन प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी फैल गया. भोपाल और सागर में ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं. जहां लड़कियों ने शादी से पहले लड़कों की वित्तीय स्थिति का आकलन किया. लड़कियां अब यह सुनिश्चित कर रही हैं कि लड़का बैंकों का बड़ा कर्जदार न हो और उसकी मासिक आय की तुलना में ईएमआई ज्यादा न हो.
क्या है सिबिल स्कोर और क्यों हो रहा इसका इस्तेमाल?
सिबिल स्कोर (CIBIL Score) क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) द्वारा दिया गया एक स्कोर होता है, जो 300 से 900 के बीच होता है. यह स्कोर व्यक्ति की वित्तीय अनुशासन और कर्ज चुकाने की क्षमता को दर्शाता है. बैंक और वित्तीय संस्थान इस स्कोर के आधार पर लोन देते हैं.
अब शादी के फैसलों में भी यह महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि:
- लड़कियां शादी के बाद वित्तीय स्थिरता चाहती हैं.
- सिबिल स्कोर यह बताता है कि व्यक्ति कितना जिम्मेदार है.
- यह भविष्य में घर, कार या अन्य लोन मिलने की संभावना को भी दर्शाता है.
सिबिल स्कोर देखने के बाद लड़कियों के निर्णय
आय कम, तो शादी से इनकार
भोपाल की शीतल (बदला हुआ नाम) की शादी बेंगलुरु में काम करने वाले लड़के से तय हुई थी. लड़की ने लड़के की सैलरी पूछी और तुरंत फैसला कर लिया कि यह शादी नहीं हो सकती. उसने कहा कि इस वेतन में न तो अच्छा घर मिलेगा और न ही बेहतर भविष्य.
कर्जमुक्त दूल्हा मिला, तो शादी के लिए हां
सागर की मोना जैन की शादी छतरपुर के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर आशीष पंचरत्न से तय हुई. मोना ने आशीष का सिबिल स्कोर चेक किया, जो 800 था. इसका मतलब था कि उसके ऊपर कोई बड़ा कर्ज नहीं है. यह देखकर मोना ने शादी के लिए हां कर दी.
ज्यादा ईएमआई, तो शादी से इनकार
इंदौर के विजयनगर के कारोबारी संदीप गौतम की शादी भोपाल की निधि झा से तय हुई थी. जब निधि ने संदीप का क्रेडिट स्कोर चेक किया, तो पता चला कि उसकी आय का 55% सिर्फ ईएमआई में जा रहा है. उसने तुरंत शादी से इनकार कर दिया.
क्यों महत्वपूर्ण है 900 अंकों का सिबिल स्कोर?
क्रेडिट मैनेजर विश्वजीत मिश्रा के अनुसार, 900 अंकों का सिबिल स्कोर बेहद कारगर माना जाता है.
- 685 से अधिक स्कोर होने पर लोन मिलने की संभावना ज्यादा होती है.
- 750 स्कोर को बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर के रूप में मानते हैं.
- यह स्कोर लोन के भुगतान इतिहास और वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है.
- खराब क्रेडिट स्कोर को तीन साल में मासिक रिकॉर्ड सुधारकर सही किया जा सकता है.
जल्द ही बायोडाटा में होगा सिबिल स्कोर का उल्लेख!
सेंट्रल बैंक के ब्रांच मैनेजर राजेश सिंघई का कहना है कि आने वाले समय में शादी के बायोडाटा में भी सिबिल स्कोर जोड़ा जा सकता है.
- यह शादी से पहले वित्तीय स्थिरता का संकेत देगा.
- कम स्कोर वालों को शादी से पहले क्रेडिट काउंसलिंग करानी पड़ सकती है.
- अच्छे सिबिल स्कोर वाले लोगों को शादी के बाद लोन में आसानी होगी.
यह बदलाव सही या गलत?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव युवतियों की वित्तीय समझ को दर्शाता है. वे शादी को एक जिम्मेदारी मान रही हैं और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करना चाहती हैं. लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि यह शादी को बिजनेस की तरह देखने की मानसिकता को बढ़ावा दे सकता है.
मैरिज एंड रिलेशनशिप काउंसलर प्रो. योगिता यश रावत कहती हैं. “यह फेक फेमिनिज्म का प्रभाव हो सकता है. कई लड़कियां शादी से पहले ही यह तय कर रही हैं कि अगर शादी टूटी तो उन्हें कितना आर्थिक फायदा होगा.”
क्या सिबिल स्कोर के आधार पर शादी तय करना सही है?
इस मुद्दे पर अलग-अलग राय देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग इसे बदलते समय के साथ एक जरूरी कदम मानते हैं. जबकि कुछ इसे संस्थागत विवाह को व्यापार की तरह देखने की मानसिकता मानते हैं. हालांकि यह स्पष्ट है कि वित्तीय सुरक्षा और जागरूकता अब शादी के फैसलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.