Well Shape Facts: क्या आपने कभी गौर किया है कि कुएं हमेशा गोल ही होते हैं. चौकोर या तिकोने क्यों नहीं? इस सवाल का जवाब वैज्ञानिक और व्यावहारिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद रोचक है. गोल आकार कुएं को अधिक मजबूती, स्थायित्व और सफाई के मामले में बेहतरीन बनाता है.
गोल आकार से कुएं की दीवारों पर समान दबाव पड़ता है
जब कुएं में पानी भरता है, तो उसके चारों तरफ समान रूप से दबाव बनता है. गोलाकार डिजाइन होने के कारण यह दबाव कुएं की दीवारों पर बराबर तरीके से वितरित होता है. जिससे इसकी दीवारें ज्यादा मजबूत बनी रहती हैं. यदि कुआं चौकोर या तिकोना होता, तो उसके कोनों पर दबाव ज्यादा पड़ता. जिससे दीवारों में दरारें आ सकती थीं और समय के साथ कुआं कमजोर होकर गिर सकता था.
गोलाकार संरचनाएं होती हैं सबसे मजबूत
इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से गोल आकार सबसे मजबूत संरचनाओं में से एक है. यही कारण है कि पुराने किले, चर्च, मस्जिदों के गुंबद और बड़े पुलों में गोल डिजाइन का उपयोग किया जाता रहा है. गोलाकार दीवारें बाहरी दबाव को समान रूप से सहन करने में सक्षम होती हैं. जिससे वे ज्यादा टिकाऊ बनती हैं. इसी वजह से कुएं भी इसी सिद्धांत पर बनाए जाते हैं ताकि वे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकें.
खुदाई में होती है आसानी
जब कोई कुएं की खुदाई करता है, तो स्वाभाविक रूप से व्यक्ति अपने चारों तरफ घुमावदार तरीके से मिट्टी हटाता है. इस प्रक्रिया में कुएं का आकार स्वतः ही गोल बन जाता है. अगर जबरदस्ती चौकोर कुआं खोदने की कोशिश की जाए, तो किनारों को समतल बनाए रखना मुश्किल होगा और अधिक मेहनत तथा सामग्री की जरूरत पड़ेगी. यही कारण है कि पारंपरिक रूप से गोल कुएं बनाना ही अधिक व्यावहारिक रहा है.
सफाई करना होता है आसान
गोल कुएं के आकार के कारण पानी का प्रवाह सभी दिशाओं में समान रूप से बना रहता है. जिससे उसमें गंदगी कम जमती है. चौकोर कुएं में कोनों में काई, मिट्टी और कचरा जमा होने की संभावना अधिक होती है. जिससे पानी जल्दी गंदा हो सकता है. इस वजह से गोल कुएं में पानी अधिक स्वच्छ और उपयोगी बना रहता है.
निर्माण लागत होती है कम
गोल कुएं बनाने में कम सामग्री की आवश्यकता होती है. क्योंकि इसमें दीवारों को समान रूप से मजबूती दी जा सकती है. अगर कुआं चौकोर बनाया जाए, तो उसकी चार दीवारों और कोनों को अतिरिक्त मजबूती देने के लिए अधिक ईंट, पत्थर और सीमेंट की जरूरत पड़ेगी, जिससे निर्माण लागत बढ़ जाएगी. यही वजह है कि पुराने समय में भी लोग गोल कुएं बनाना अधिक पसंद करते थे.
प्राकृतिक आपदाओं का करते हैं बेहतर सामना
गोल कुएं भूकंप और मिट्टी खिसकने जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना बेहतर तरीके से कर सकते हैं. जब भूकंप आता है, तो जमीन में होने वाली हलचल से दबाव हर दिशा में पड़ता है. चौकोर कुएं में कोनों पर ज्यादा दबाव पड़ता है. जिससे वे जल्दी दरक सकते हैं. वहीं गोल कुएं संतुलन बनाए रखते हैं और ज्यादा स्थायित्व प्रदान करते हैं. यही कारण है कि पुराने समय में बनाए गए कई कुएं आज भी सुरक्षित खड़े हैं. जबकि उनके आसपास की कई इमारतें ढह चुकी हैं.
पानी निकालने में होती है सहूलियत
गोल कुएं से पानी निकालना भी चौकोर या तिकोने कुएं की तुलना में आसान होता है. गोल डिजाइन के कारण कुएं की दीवारें एक समान दूरी पर बनी रहती हैं. जिससे रस्सी और बाल्टी का इस्तेमाल करते समय कोई असमानता नहीं होती. वहीं अगर कुआं चौकोर होता, तो कोनों की वजह से बाल्टी को ऊपर-नीचे करने में दिक्कत हो सकती थी. यही कारण है कि गोल आकार पारंपरिक रूप से सबसे ज्यादा प्रचलित है.
पर्यावरण के अनुकूल होते हैं गोल कुएं
गोल कुएं मिट्टी के कटाव को भी कम करने में मदद करते हैं. जब पानी कुएं में नीचे की ओर बहता है. तो गोलाकार दीवारों की वजह से मिट्टी के कटाव की संभावना कम रहती है. इससे कुआं ज्यादा दिनों तक सुरक्षित रहता है और पानी की गुणवत्ता भी बनी रहती है.