Strict Orders: बठिंडा में जिला मजिस्ट्रेट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत अपनी निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक सख्त आदेश जारी किया है. इस आदेश के अनुसार रैलियों, बैठकों और विरोध प्रदर्शनों में किसी भी व्यक्ति, धर्म, जाति या समाज के किसी भी समुदाय को ठेस पहुंचाने वाले सभी प्रकार के भड़काऊ बयानों और नफरती भाषणों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है.
कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम
यह आदेश जिले में कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से जारी किया गया है. प्रशासन का कहना है कि पिछले कुछ समय से कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे थे, जो समाज में वैमनस्यता फैलाने का काम कर रहे थे. इस तरह के कृत्यों पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है.
25 अप्रैल 2025 तक लागू रहेगा आदेश
जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए इस आदेश को 25 अप्रैल 2025 तक प्रभावी किया गया है. इसका मतलब यह है कि आगामी महीनों तक कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक मंच पर भड़काऊ बयान नहीं दे सकेगा. आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
उल्लंघन करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस आदेश का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. साथ ही यदि किसी संगठन या समूह द्वारा इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो उसके खिलाफ भी कठोर कदम उठाए जाएंगे.
जिले में शांति और सद्भाव बनाए रखने की पहल
बठिंडा प्रशासन का यह निर्णय जिले में शांति और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. अधिकारियों का कहना है कि सभी नागरिकों को इस आदेश का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार की भड़काऊ बयानबाजी से बचना चाहिए.
आदेश की जरूरत क्यों पड़ी?
हाल के दिनों में जिले में कुछ समूहों द्वारा सार्वजनिक मंचों पर नफरती भाषण देने के कई मामले सामने आए थे, जिससे सामाजिक सौहार्द पर असर पड़ रहा था. इसके मद्देनजर प्रशासन ने यह कठोर निर्णय लिया. ताकि जिले में शांति बनी रहे और किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो.
सामाजिक संगठनों और नागरिकों की प्रतिक्रिया
इस आदेश पर सामाजिक संगठनों और नागरिकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे सकारात्मक कदम बताया है, जिससे समाज में एकता और भाईचारा बढ़ेगा. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि प्रशासन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांति बनाए रखने के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए.
पुलिस और प्रशासन की सतर्कता बढ़ी
इस आदेश के बाद पुलिस और प्रशासन की सतर्कता बढ़ा दी गई है. सार्वजनिक स्थलों पर निगरानी बढ़ाई गई है और सोशल मीडिया पर भी भड़काऊ पोस्ट पर विशेष नजर रखी जा रही है. यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से भी नफरत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.