Affordable Housing Scheme: उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में आवासीय योजनाओं के विकास के लिए बाखली (रो-हाउसिंग) शैली को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है. राज्य की नई आवास नीति के तहत जारी की गई आवास विकास नियमावली में इस पारंपरिक वास्तुशैली को अपनाने का प्रावधान किया गया है. इस फैसले से न केवल पर्यावरण संतुलन बना रहेगा. बल्कि स्थानीय निवासियों को भी अधिक सुविधाजनक और किफायती आवास मिल सकेगा.
बाखली शैली अपनाने पर मिलेगी कई छूट
राज्य सरकार ने बाखली शैली को बढ़ावा देने के लिए लाभार्थियों और विकासकर्ताओं को कई रियायतें देने का ऐलान किया है. इसमें स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क और फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) में छूट दी गई है. इसके अलावा सरकार ने इस योजना के तहत बनने वाले घरों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान किया है.
कमजोर आय वर्ग को मिलेगा आवास का लाभ
नई आवास नीति के तहत अब वार्षिक आय 5 लाख रुपये तक वाले परिवारों को भी घर का सपना साकार करने का अवसर मिलेगा. पहली बार निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के लिए भी आय सीमा निर्धारित की गई है. जिससे अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा सकेंगे. इस नीति के तहत कमजोर आय वर्ग के लिए 3 लाख रुपये की सरकारी सहायता राज्य सरकार द्वारा और 1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी.
कैबिनेट बैठक में मिली थी नीति को मंजूरी
11 दिसंबर 2023 को हुई धामी कैबिनेट की बैठक में राज्य की नई आवास नीति को मंजूरी दी गई थी. इसके बाद इसे लागू करने के लिए प्रमुख सचिव आवास आर. मीनाक्षी सुंदरम द्वारा आवास विकास नियमावली जारी कर दी गई है. अब जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण इसी नियमावली के अनुसार आवासीय परियोजनाओं का क्रियान्वयन करेंगे.
बाखली शैली क्या है?
बाखली शैली उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की पारंपरिक वास्तुकला का हिस्सा है, जिसमें दोनों ओर घर एक सीधी रेखा में बनाए जाते हैं और बीच में सामूहिक आंगन होता है. इस शैली को अपनाने से न केवल स्थानीय संस्कृति को संरक्षित किया जा सकेगा. बल्कि बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता भी बेहतर होगी.
बाखली शैली में घर बनाने के नियम
बाखली शैली के तहत बनने वाली आवासीय परियोजनाओं में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा:
- प्रत्येक परियोजना में न्यूनतम 10 आवासीय इकाइयाँ होंगी.
- अग्र भाग में खुली सीढ़ियाँ और न्यूनतम 2 मीटर चौड़ा सामूहिक आंगन अनिवार्य होगा.
- 2 मीटर के पहुंच मार्ग पर रो-हाउसिंग का निर्माण संभव होगा.
- अधिकतम ऊँचाई 7.5 मीटर निर्धारित की गई है.
- स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट दी जाएगी.
नई नीति के मुख्य बिंदु
- पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 2 हेक्टेयर और मैदानी क्षेत्रों में 10 हेक्टेयर में आवासीय प्रोजेक्ट विकसित होंगे.
- प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुरूप नई आवास नीति बनाई गई है.
- ईडब्लूएस, एलआईजी और एलएमआईजी के लिए बुकिंग और पंजीकरण शुल्क निर्धारित किया गया है.
- ईडब्लूएस श्रेणी के लिए स्टांप शुल्क में विशेष छूट दी गई है.
- महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए आवास आवंटन में महिला सदस्य को प्राथमिकता दी जाएगी.
- विकासकर्ताओं की मनमानी रोकने के लिए किफायती आवासों की अधिकतम दर तय की गई है.
- आवासीय परियोजनाओं में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) अनिवार्य होगी.
- भू-उपयोग परिवर्तन को सरल बनाया गया है, जिससे विकासकर्ता को भूमि खरीदने पर स्टांप शुल्क में छूट मिलेगी.
कमजोर एवं मध्यम वर्ग के लिए दरें
वर्ग | आय सीमा |
---|---|
कमजोर | 9 लाख रुपये तक |
निम्न | 15 लाख रुपये तक |
निम्न मध्यम | 24 लाख रुपये तक |
विकास प्राधिकरणों की कार्यशाला होगी आयोजित
नई आवास नीति को सुचारू रूप से लागू करने के लिए जल्द ही जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों की कार्यशाला आयोजित की जाएगी. इस कार्यशाला में अधिकारियों को नियमावली की विस्तृत जानकारी दी जाएगी. ताकि इसे प्रभावी रूप से लागू किया जा सके.